यातायात के साधनो जैसे कार बाइक तथा भरी वाहनों में दो तरह से फ्यूल ,इंजन सिलेण्डर में पहुंचाया जाता है। पहला कारबोरेटर का प्रयोग कर के और दूसरा तरीका होता है फ्यूल इंजेक्टर के द्वारा , कार्बुरात्तोर सिर्फ पेट्रोल इंजन में काम लिया जाता है परन्तु फ्यूल इंजेक्टर पेट्रोल तथा डीजल दोनों तरह के इंजन में काम में लिया जता है। प्रदूषण नियत्रण का भारत स्टेज 6 के नियम आने के बाद भारत में अब बाइक से लेकर कार पेट्रोल इंजन में इंजेक्टर ही प्रयोग में लिया जा रहा है। इंजेक्टर के उपयोग के ईंधन की पयापत मात्रा ही इंजन को दी जाती है जिससे SOx NOx प्रदूषण पर नियत्रण किया जा सकता है।
कारबुरेटर
फ्यूल इंजेक्टर
फ्यूल इंजेक्टर इलेट्रॉनिक कण्ट्रोल यूनिट की मदद से फ्यूल को सीधा इंजन के सिलेंडर में स्प्रे कर दिया जाता है। यह ECU लोड के हिसाब से कैलकुलेट कर के सही मात्रा में फ्यूल इंजन में स्प्रे करता है। पेट्रोल में ये स्प्रे कम्प्रेशन स्ट्रोक से पहले किया जाता है ताकि इग्निशन से पहले पेट्रोल और हवा अच्छे से मिक्स हो जाये तथा डीजल इंजन में कम्प्रेशन के बाद स्प्रे किया जाता है जिसकी वजह से डीजल फ्यूल इंजेक्टर को पेट्रोल की तुलना बहुत ज्यादा प्रेशर की जरुरत होती है। फ्यूल इंजेक्टर में फ्यूल पंप से फ्यूल का प्रेशर बनाया जाता है फिर सोलेनोइड की मदद से इंजिन में स्प्रे किया जाता है। वर्तमान समय में मल्टी पॉइंट फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम काम में लिया जाता है जिसको MPFI टेक्नोलॉजी कहते है।